अर्नेस्ट हेमिंग्वे ने उड़ा दिया था अपनी ही
पिस्तौल से अपना सिर
चे को भून दिया गया था सरेआम
भगतसिंह के फाँसी पर चढ़ने का एक मानी था
लखनऊ में एक युवा कवि कूद गया था एक
बहुमंजिली इमारत से
फेदेरिको गार्सिया लोर्का को मार दी गई थी
गोली बेहद करीब से
ये सारी घटनाएँ रखती हैं ताल्लुक मौत से
और तवारीख में होता है इनका जिक्र
अदब के संग
लेकिन इधर सिलसिला चल निकला है
कर्ज और फसल की बर्बादी के शिकार
किसानों की मुसलसल आत्महत्याओं का
और यह तादाद लगातार बढ़ती ही जाती है
एक नामी पत्रिका के सर्वेक्षण के मुताबिक
बढ़ रही है देश में तादाद लखपतियों
करोड़पतियों और अरबपतियों की
अपने उजाड़ खेत के उजाड़ पेड़ पर
फंदा बनाकर लटक जाता है जो किसान
वहाँ दरकती हुई जमीन और ज्यादा दरकती है
मिट्टी का विलाप और उसका छाती कूटना
सुनाई देता है निरंतर
उसके सख्त ढूह हुए जाते नरम
उसके ही आँसुओं से
भारत एक देश है किसान प्रधान
क्या फर्क पड़ता है आखिरकार
कुछ किसानों के इस तरह यकायक
गुजर जाने से